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देवास के चम्पापुरीधाम में वासुपूज्य स्वामी की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न, हजारों श्रद्धालु हुए शामिल
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जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी की प्राण प्रतिष्ठा रविवार को देवास के पंचशील नगर स्थित चम्पापुरीधाम में विधिवत संपन्न हुई। इस शुभ अवसर पर देशभर से आए 100 से अधिक साधु-साध्वियों की पावन उपस्थिति और मंत्रोच्चार के साथ प्रतिमा की प्रतिष्ठा संपन्न हुई। कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने आयोजन को दिव्यता प्रदान की।
चांदी की डोली में प्रभु की शोभायात्रा, गूंजे जयकारे
प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत श्री आदेश्वर मंदिर, बड़ा बाजार से भव्य शोभायात्रा के साथ हुई। इस शोभायात्रा में श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा को चांदी की डोली में विराजमान किया गया। यात्रा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर (तुकोगंज रोड), श्री चंदाप्रभु मंदिर (एमजी रोड) होते हुए सयाजी द्वार से पंचशील नगर तक निकाली गई।
हाथी-घोड़ों, ढोल और श्रद्धा से सजी शोभायात्रा
शोभायात्रा में हाथी, ऊंट और घोड़ों की भव्य सवारी रही, वहीं महाराष्ट्र से आए युवक-युवतियों ने पारंपरिक ढोल-ताशा वादन से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। श्रद्धालुओं ने डोली और रथ को स्वयं खींचकर अपनी आस्था प्रकट की। महिला मंडलों की सदस्याएं एक जैसी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर श्रद्धा और एकता का सुंदर संदेश देती रहीं।
धर्मसभा में मिला आत्मचिंतन का संदेश
प्रतिष्ठा के बाद आयोजित धर्मसभा में आचार्य नवचंद्रसागर सूरीश्वरजी ने कहा, "मंदिर में मूर्ति की प्रतिष्ठा एक प्रतीक है, सच्ची प्रतिष्ठा तब होती है जब हम प्रभु को अपने हृदय में प्रतिष्ठित करते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी मंगल ग्रह के अधिपति माने जाते हैं, और जिन लोगों को जीवन में मंगल दोष जैसी बाधाएं हैं, उन्हें वासुपूज्य स्वामी की आराधना से मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिल सकता है।
कायथावाला परिवार का आयोजन में योगदान
यह भव्य धार्मिक आयोजन बागमल अमरचंद मनीष कुमार जैन कायथावाला परिवार द्वारा आयोजित किया गया, जिनकी ओर से भक्तों की सुविधा और भव्यता का विशेष ध्यान रखा गया।