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ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी में दो दर्दनाक हादसे, एक युवक की मौत, एक लापता – श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश
Khandwa, MP

प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर में रविवार को नर्मदा नदी में हुए दो अलग-अलग डूबने की घटनाओं ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया। अस्थि विसर्जन के लिए आए महाराष्ट्र के तीन युवकों में से एक युवक डूब गया, वहीं ब्रह्मपुरी घाट पर स्नान कर रहे एक अन्य युवक की मौत हो गई। इन घटनाओं के बाद श्रद्धालुओं में प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश देखा गया।
अस्थि विसर्जन के दौरान डूबे तीन युवक, एक लापता
पहली घटना ओंकारेश्वर के नर्मदा–कावेरी संगम घाट की है, जहां महाराष्ट्र के मालेगांव (नासिक) से अस्थि विसर्जन के लिए आए कृष्णा पवार (32 वर्ष) अपने दो साथियों के साथ नदी में उतरे थे। अचानक तीनों युवक डूबने लगे। घाट पर मौजूद नाविकों और स्थानीय लोगों ने तत्काल दो युवकों को बाहर निकाल लिया, लेकिन कृष्णा पवार गहरे पानी में समा गए। रेस्क्यू टीम की तलाश जारी है।
ब्रह्मपुरी घाट पर स्नान के दौरान युवक की मौत
दूसरी घटना ब्रह्मपुरी घाट पर हुई, जहां जयपुर निवासी अनिल मीणा (25 वर्ष), जो एक फाइनेंस कंपनी में कार्यरत थे, नर्मदा स्नान के दौरान गहरे पानी में चले गए और डूब गए। उन्हें बाहर निकालकर तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
श्रद्धालुओं और स्थानीयों में प्रशासन के प्रति रोष
दोनों घटनाओं ने तीर्थ क्षेत्र में सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी है। श्रद्धालु लगातार आरोप लगा रहे हैं कि घाटों पर न तो लाइफगार्ड तैनात हैं, न चेतावनी बोर्ड, और न ही बैरिकेडिंग। एक ओर लाखों श्रद्धालु पुण्य लाभ के लिए आते हैं, दूसरी ओर प्रशासन की लापरवाही से लगातार जानें जा रही हैं।
श्रद्धालुओं ने उठाई सुरक्षा की मांग
प्रयागराज से आई श्रद्धालु कविता मिश्रा ने कहा, "हम पुण्य करने आते हैं, पर यहां हर बार कोई घटना सुनने को मिलती है। प्रशासन को अलर्ट रहना चाहिए।" वहीं, ओडिशा की वैजयंती नायडू ने मांग की कि घाटों पर लाइफ जैकेट, चेतावनी संकेत और निगरानी दल हर समय तैनात हों।
स्थानीय संत और फोटोग्राफर ने जताई चिंता
स्थानीय संत ने कहा कि कृष्णा पवार ने अपने दोनों साथियों की जान बचा ली, लेकिन खुद डूब गया। यह घटना प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। एक स्थानीय फोटोग्राफर ने कहा, “अगर घाटों पर स्थायी गोताखोर दल और रेस्क्यू बोट टीम होती, तो शायद यह जान बचाई जा सकती थी।”
प्रशासन पर उठे सवाल, अब जरूरी है कड़ी व्यवस्था
ओंकारेश्वर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल पर लगातार हो रही ऐसी घटनाएं प्रशासन की उदासीनता का संकेत हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि घाटों पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, गोताखोरों की नियुक्ति और रेस्क्यू टीम की स्थायी तैनाती की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।