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रीवा में उल्टी-दस्त का कहर: 24 घंटे में एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत, दो की हालत नाज़ुक
Rewa, MP

रीवा शहर में भीषण गर्मी के बीच उल्टी-दस्त (डायरिया) ने कहर बरपाया है।
शहर के निराला नगर (वार्ड क्रमांक 9) में रहने वाले एक आदिवासी कोल परिवार के चार लोगों की 24 घंटे के भीतर मौत हो गई है। दो अन्य सदस्य अभी संजय गांधी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
यह त्रासदी कमला प्रसाद कोल के परिवार में हुई है, जिनके घर कुछ दिन पहले ही भाई की शादी का उत्सव संपन्न हुआ था। उत्सव के माहौल के कुछ ही दिन बाद परिवार पर दुखों का ऐसा पहाड़ टूटा, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।
शादी के दो दिन बाद शुरू हुआ बीमारी का सिलसिला
7 जून को घर में हुई शादी के बाद दो दिन बीते ही थे कि 35 वर्षीय राजकुमारी कोल को अचानक उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। परिवार ने तत्काल उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन इसके बाद जैसे इस परिवार पर मौत का साया मंडराने लगा। एक-एक कर परिवार के सदस्य बीमार होते गए और 24 घंटे के भीतर चार लोगों ने दम तोड़ दिया।
मासूम समेत चार की मौत, दो भर्ती
मरने वालों में
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देववती कोल (80 वर्ष)
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छुटानी कोल (60 वर्ष)
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ज्योति कोल (18 वर्ष)
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और एक साल का मासूम बच्चा शामिल हैं।
दर्दनाक बात यह है कि सभी की मौत घर पर ही हुई। जब एक का अंतिम संस्कार कर परिवार लौटता, तब तक दूसरे की मौत हो चुकी होती। परिवार अब आर्थिक रूप से इतना टूट चुका है कि अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं बचे।
इलाज जारी, खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं बाकी सदस्य
वहीं, मुलिया कोल और राजकुमारी कोल का इलाज संजय गांधी अस्पताल, रीवा में चल रहा है। अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. यत्नेश त्रिपाठी ने जानकारी दी है कि दोनों मरीज खतरे से बाहर हैं और स्थिति फिलहाल स्थिर है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर, जांच जारी
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर प्रभावित परिवार का स्वास्थ्य परीक्षण किया और इलाके में साफ-सफाई, पानी की गुणवत्ता और संभावित संक्रमण स्रोतों की जांच शुरू की। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि संक्रमण का स्रोत क्या था – दूषित पानी, भोज्य पदार्थ या कुछ और।
सवालों के घेरे में प्रशासन और व्यवस्था
स्थानीय लोगों का कहना है कि वार्ड में साफ-सफाई की स्थिति खराब है और नलजल योजना के जल स्रोत की गुणवत्ता पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। अगर समय रहते इलाके की स्थिति सुधारी जाती और स्वास्थ्य सेवाएं अलर्ट पर होतीं, तो शायद ये मौतें टाली जा सकती थीं।