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श्रीनगर हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ विवाद: शिलापट्ट तोड़ा गया, राष्ट्रीय प्रतीक हटाया गया
Jagran Desk

हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को ईद-ए-मिलाद के अवसर पर नवनिर्मित शिलापट्ट पर उकेरे गए अशोक स्तंभ को कुछ लोगों ने तोड़ दिया।
जुमे की नमाज के बाद भीड़ शिलापट्ट के पास जमा हुई और वक्फ बोर्ड के खिलाफ नारे लगाए, साथ ही पत्थरबाजी भी की।
मुख्यमंत्री का बयान
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने कहा कि किसी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने सवाल उठाया कि हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ लगाने की आवश्यकता क्या थी, क्या सिर्फ उद्घाटन ही पर्याप्त नहीं था।
वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया
वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने घटना को संविधान पर चोट बताया और विरोध करने वालों को उपद्रवी करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की घटनाओं पर FIR दर्ज नहीं होती, तो वह भूख हड़ताल पर बैठेंगी। अंद्राबी ने सुझाव दिया कि जिन्हें राष्ट्रीय प्रतीक से परेशानी है, वे दरगाह जाते समय राष्ट्रीय प्रतीक वाले नोट न लें।
दरगाह का ऐतिहासिक महत्व
हजरतबल दरगाह श्रीनगर के डल झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है और इसे जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के सबसे पवित्र स्थलों में गिना जाता है। कहा जाता है कि यहां पैगंबर मोहम्मद का मुई-ए-मुकद्दस सुरक्षित रखा गया है। दरगाह 17वीं शताब्दी में गवर्नर सुलेमान शाह द्वारा बनवाई गई थी और बाद में मुगल शहंशाह शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने इसे मस्जिद के रूप में जीर्णोद्धार करवाया।
कानूनी पहलू
भारत में राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान पर कानून कड़ा है। ऐसे व्यक्ति को तीन साल तक की जेल या जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है।
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