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त्रिनिदाद में बोले PM मोदी: “आपने मिट्टी छोड़ी, लेकिन रामायण और संस्कार नहीं छोड़े”
Jagran Desk
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। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को त्रिनिदाद एंड टोबैगो में बसे भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि भारतवंशियों ने भले ही अपनी जन्मभूमि छोड़ी हो, लेकिन उन्होंने संस्कृति, संस्कार और श्रीराम से नाता कभी नहीं तोड़ा। PM मोदी ने कहा, “आपके पूर्वज गंगा-यमुना पीछे छोड़ आए, लेकिन अपने दिल में रामायण को साथ लाए।”
यह त्रिनिदाद की धरती पर किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 30 वर्षों बाद पहली आधिकारिक यात्रा है। मोदी ने त्रिनिदाद को भारत की संस्कृति, श्रद्धा और सभ्यता का दूसरा घर बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रवासी सिर्फ नागरिक नहीं, बल्कि एक सभ्यता के दूत हैं।
“रामायण, रामलला और सरयू का जल आपके लिए लाया हूं”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मुझे पता है कि आप सबकी प्रभु श्रीराम में कितनी आस्था है। त्रिनिदाद की रामलीला दुनिया में सबसे खास है। अयोध्या में रामलला की वापसी के अवसर पर आपने जो श्रद्धा दिखाई, वह अद्वितीय थी।”
मोदी ने बताया कि वे अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर की एक प्रतिकृति और सरयू नदी का पवित्र जल लेकर आए हैं, ताकि प्रवासी भारतीयों को भारत की आध्यात्मिक विरासत से जोड़े रखा जा सके।
छठी पीढ़ी तक मिलेगा OCI कार्ड
प्रधानमंत्री ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि अब भारतीय मूल की छठी पीढ़ी को भी ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड जारी किया जाएगा। इससे वैश्विक भारतीय समुदाय के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत होंगे।
भारतीय संस्कृति यहां भी जीवंत
PM मोदी ने कहा कि त्रिनिदाद में बनारस, पटना, कोलकाता जैसे शहरों के नाम की सड़कें हैं। “यहां नवरात्र, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी उतनी ही श्रद्धा से मनाए जाते हैं जितना भारत में। चौताल और भटक गीत यहां की पहचान बन चुके हैं।” उन्होंने कहा कि भारत और त्रिनिदाद के रिश्ते भौगोलिक सीमाओं से परे हैं।
कमला परसाद को बताया 'बिहार की बेटी'
मोदी ने त्रिनिदाद की प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर को “बिहार की बेटी” बताया और कहा कि उनके पूर्वज बक्सर से थे। उन्होंने बिहार की सांस्कृतिक विरासत को विश्व का गौरव बताया। PM मोदी ने यह भी अपील की कि संगम और सरयू का जल त्रिनिदाद की गंगा धारा में अर्पित किया जाए।
180 साल के प्रवास का गौरव
इस साल त्रिनिदाद में भारतीयों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। 40% से ज्यादा आबादी भारतीय मूल की है, जिनके पूर्वज 19वीं सदी में मजदूरी के लिए यहां आए थे।
PM मोदी ने इन संघर्षों को साहस और आत्मबल की मिसाल बताया और कहा, “आपने कठिनाइयों को उम्मीद से हराया।”
अतीत से वर्तमान तक: मोदी का पुराना जुड़ाव
PM मोदी 25 साल पहले 2000 में भी त्रिनिदाद गए थे, जब वे भाजपा के महासचिव थे। उन्होंने विश्व हिंदू सम्मेलन में "हिंदू धर्म और समकालीन विश्व मुद्दे" विषय पर भाषण दिया था।
दौरे का उद्देश्य: द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और त्रिनिदाद के बीच रक्षा, स्वास्थ्य, UPI तकनीक, कृषि और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को गहराने का माध्यम बनेगी। कई महत्वपूर्ण समझौते होने की संभावना है।