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संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए कल स्कंद षष्ठी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान की लंबी आयु, उनकी सुरक्षा और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
स्कंद षष्ठी की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 28 अगस्त को शाम 5:56 बजे से प्रारंभ होकर 29 अगस्त की रात 8:21 बजे तक रहेगी। व्रत का पालन उदया तिथि के अनुसार 28 अगस्त को किया जाएगा। पूजा का अभिजीत मुहूर्त विशेष फलदायी माना गया है।
पूजा विधि
व्रती को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। घर में या मंदिर में भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित कर दीपक जलाएं। धूप, फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें। लाल या पीले फूल तथा बेलपत्र चढ़ाना विशेष लाभकारी माना जाता है। मंत्र “ॐ कार्तिकेयाय नमः” का जाप करें। दिनभर व्रत के बाद संध्या समय कथा और आरती करें। अगले दिन व्रत का पारण फलाहार से करना चाहिए।
भगवान कार्तिकेय की पूजा का महत्व
भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, सुब्रह्मण्यम और स्कंद भी कहा जाता है, बच्चों की सुरक्षा और उनकी हर संकट से मुक्ति के लिए पूजे जाते हैं। इस व्रत से न केवल संतान की लंबी आयु होती है, बल्कि उनके जीवन की बाधाएं भी दूर होती हैं।
स्कंद षष्ठी का ऐतिहासिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार, असुर तारकासुर का अत्याचार बढ़ने पर देवताओं ने शिव-पार्वती से प्रार्थना की। इसी समय माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई। तब से स्कंद षष्ठी पर्व कार्तिकेय भगवान की आराधना के लिए विशेष माना जाता है।
व्रत का फल
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संतान की रक्षा और लंबी आयु
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घर में सुख-शांति और समृद्धि
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दांपत्य जीवन में मधुरता
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संतान से जुड़ी समस्याओं का निवारण