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निखिल चंदवानी: साहस और सेवा की सशक्त मिसाल
Jagran Desk
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आज के समय में जब सामाजिक सेवा अधिकतर संस्थाओं, मीडिया कवरेज और चकाचौंध से जुड़ गई है, वहीं निखिल चंदवानी ने साबित किया है कि असली इंसानियत अक्सर बिना शोर-शराबे के काम करती है।
पेशे से लेखक और उद्यमी निखिल चंदवानी पिछले एक दशक से चुपचाप एक ऐसा मानवीय अभियान चला रहे हैं जिसने अब तक पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे 2,000 से ज्यादा हिंदू और सिख परिवारों को भारत में नई शुरुआत का अवसर दिया है।
सबसे खास बात यह है कि निखिल ने यह काम किसी NGO या सरकारी सहयोग से नहीं, बल्कि अपने व्यक्तिगत संसाधनों और भरोसेमंद साथियों की मदद से किया। उन्होंने सुरक्षित आश्रय, कानूनी कागज़ात और ज़रूरी सहयोग उपलब्ध कराकर पीड़ितों को सुरक्षित भारत लाने की राह आसान बनाई।
निखिल ने अपने बायोमास पेललेट मैन्युफैक्चरिंग व्यवसाय से होने वाली कमाई को इस मिशन का आधार बनाया। इसके साथ ही, उनके साथ कुछ गिने-चुने दानदाता जुड़े हैं जो सुर्खियों से दूर रहकर केवल समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं।
वर्तमान में निखिल का नेटवर्क पाकिस्तान के स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, भारत के वकीलों, डॉक्टरों, शिक्षकों और मनोवैज्ञानिकों का एक संगठित समूह है, जो मिलकर पीड़ित परिवारों को नई राह दिखा रहा है।
भविष्य में उनका सपना है कि भारत में एक स्थायी पुनर्वास केंद्र बने, जहां इन परिवारों को सुरक्षित आवास, अच्छी शिक्षा, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सेवाएं तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा सके।
निखिल कहते हैं—
“जब किसी पीड़ित के चेहरे पर मुस्कान लौट आती है और वो दोबारा सपने देखने लगता है, वही इस लड़ाई की असली जीत है।”
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि जब सिस्टम चुप हो जाता है, तब एक व्यक्ति की संवेदना और संकल्प सीमाओं और राजनीति से परे जाकर भी हजारों ज़िंदगियों में उम्मीद जगा सकता है।
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