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कुंडली में कैसे बनता है सरस्वती योग? जानिए इस शुभ योग का जीवन पर प्रभाव
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ज्योतिषशास्त्र में कुंडली में बनने वाले योगों का व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर होता है। इन्हीं योगों में से एक है सरस्वती योग, जिसे विद्या, बुद्धि, कला और संचार कौशल का प्रतीक माना जाता है।
जिनकी कुंडली में यह योग बनता है, वे जीवन में ज्ञान के क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं।
क्या है सरस्वती योग?
सरस्वती योग एक शुभ योग होता है, जो तीन मुख्य ग्रहों—बुध, बृहस्पति और शुक्र—की विशेष स्थिति में बनने वाला योग है। यह योग खासतौर पर उन लोगों की कुंडली में बनता है जो जीवन में बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता और शिक्षात्मक सफलता की ओर अग्रसर रहते हैं।
सरस्वती योग कैसे बनता है?
यदि कुंडली में बुध, बृहस्पति और शुक्र में से कोई भी ग्रह निम्न भावों—1, 2, 4, 5, 9, 10 या 11वें भाव—में स्थित हों, और विशेष रूप से बृहस्पति ग्रह स्वराशि, उच्च राशि या मित्र राशि में हो, तो सरस्वती योग बनता है।
उदाहरण: अगर किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति नवम भाव में उच्च राशि में हो, और साथ ही बुध व शुक्र लाभ भाव या चतुर्थ भाव में हों—तो यह एक शक्तिशाली सरस्वती योग मानी जाती है।
सरस्वती योग के प्रभाव
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व्यक्ति तेज दिमाग और बेहतर मेमोरी का मालिक होता है
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शिक्षा, लेखन, वक्तृत्व, संगीत, कला, कविता आदि में विशेष योग्यता होती है
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ऐसे लोग समाज में अपने ज्ञान और समझदारी से सम्मान प्राप्त करते हैं
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जीवन में शैक्षिक और आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करते हैं
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यह योग व्यक्ति को बनाता है प्रभावशाली विचारक और प्रेरक वक्ता
जिनकी कुंडली में यह योग होता है, वे बन सकते हैं:
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लेखक, कवि, प्रोफेसर, शिक्षाविद
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वैज्ञानिक या शोधकर्ता
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संगीतकार, चित्रकार या परफ़ॉर्मिंग आर्टिस्ट
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धार्मिक अध्ययनकर्ता या फिलॉस्फर
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मोटिवेशनल स्पीकर या आध्यात्मिक मार्गदर्शक