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मेरठ: सेक्स, ड्रग्स और तंत्र-मंत्र के जहरीले कॉकटेल की चर्चित कहानी... जरूरी क्या? रूहानी प्यार या जिस्मानी आग
Satyakatha

मेरठ का सौरभ राजपूत हत्याकांड इस बात का सबूत है कि स्त्री हो या पुरुष दोनों के लिए जिस्मानी जरूरत की पूर्ति रूहानी प्यार से कहीं अधिक जरूरी है। क्योंकि जिस्म अपनी जरूरत पूरी करने नया साथी खोजने में देर नहीं करता।
17 मार्च की शाम के कोई 7 बजे का वक्त था जब मेरठ के इन्द्रानगर इलाके में रहने वाले रस्तोगी दंपति के दरवाजे की कॉल बेल गूंज उठी। इस मकान में पति प्रमोद रस्तोगी अपनी पत्नी कविता रस्तोगी के साथ अकेले रहते हैं। इस दंपति की तीन संतान हैं जिनमें से सबसे बड़ी सरिता (बदला नाम)की शादी हो चुकी है जबकि एक बेटा और बेटी अभी दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ रहे हैं। इसलिए फिलहाल दोनों पति-पत्नी इस मकान में अकेले रहते हैं। हां कुछ दिनों से जरूर इस घर में छह साल की एक छोटी सी बच्ची की चहल-कदमी का शोर सुनाई दे रहा था। यह बच्ची इस दंपति की बड़ी बेटी की संतान है जो अपने पापा-मम्मी के शिमला घूमने जाने के दौरान यहां नाना-नानी के साथ रह रही थी। घंटी की आवाज सुनकर कविता रस्तोगी ने दरवाजा खोला सो सामने खड़ी अपनी बेटी सरिता को देखकर चौंकते हुए बोली- अरे तू कब वापस आ गई शिमला से।
आज ही शाम को पहुंचे हैं।
दामाद जी नहीं आए साथ, दरवाजे पर खड़ी सरिता के पीछे झांकने की कोशिश करते हुए मां ने पूछा।
नहीं वो थके थे इसलिए आते ही सो गए।
मां-बेटी दरवाजे पर खड़ी होकर यह बातें कर ही रहीं थी कि तभी अंदर नाना के साथ खेल रही सरिता की बेटी ने जब अपनी मां की आवाज सुनी तो दौड़ती हुए आकर मां से लिपट गई।
आ अंदर आ। कैसी रही तेरी यात्रा? तुम दोनों में झगड़ा तो नहीं हुआ न?
नहीं मां, बहुत अच्छा रहा सब कुछ। सरिता ने मां को बताया इसी बीच उसकी बेटी पापा से मिलने की जिद करने लगी। सरिता ने उसे किसी तरह समझाया फिर लगभग घंटे भर माता-पिता के साथ बातें करने के बाद वह अपने घर जाने के लिए उठी तो उसकी बेटी भी साथ चलने की जिद करने लगी। सरिता ने मना किया तो उसके पिता बोले ले जा इसको अपने पापा से मिलने की जिद कर रही है।
नहीं पापा अभी तो इसके एक्जाम भी हो चुके है इसे यही रखो।
हम कब इसको रखने से मना कर रहे हैं। बल्कि हमें तो इसके साथ वक्त का पता ही नहीं चलता। लेकिन बेटी को पापा से मिलना है तो ले जा कल फिर हम खुद तेरे घर आकर इसे अपने साथ ले आएंगे। पिता का कहना गलत नहीं था लेकिन सरिता यह कहते हुए अकेले की वापस चली गई कि वो कल सौरभ को लेकर सुबह आयेगी। लेकिन दूसरे दिन न सौरभ आया और न सरिता तो मां ने सरिता को फोन लगाकर पूछा सौरभ कहां है बेटी से बात करवा दो।
वो सो रहे हैं मम्मी अभी जागेंगे तो बात करवा दूंगी। सामने सरिता ने जबाव दिया तो कविता अपनी बेटी पर फूट पड़ी और लगभग डांटते हुए बोली क्या मजाक बना रखा है तुम दोनों ने। तुम दोनों 4 मार्च को घूमने निकले थे तब से लेकर अब तक मैंने खुद दर्जनों बार तुझसे सौरभ से बात करवाने को कहा लेकिन तूने उससे एक बार भी बात नहीं करवाई, कभी सो रहा है तो कभी नहा रहा है। जगाकर बोलो उससे बेटी याद कर रही है। मां से डांट का उत्तर देने के बजाए सरिता फोन हाथ में लिए जोर-जोर से रोने लगी। बेटी को रोते देख कविता रस्तोगी डर गईं उन्होंने सरिता से कहा तू रो मत मैं और तेरे पापा आ रहे है वहीं।
नहीं मां आप लोग यहां मत आओ मैं ही वहां आती हूं। मां की बात सुनकर सरिता ने कहा तो कविता ने जानना चाहा कि आखिर बात क्या है पति-पत्नी में किसी बात को लेकर विवाद हुआ है या कोई और समस्या है लेकिन सरिता घर आकर सब कुछ बताने की बात कहकर फोन काट दिया। सरिता की बात सुनकर उसके माता-पिता चिंता में डूब गए। क्योंकि कुछ समय पहले ही सौरभ ने सरिता से तलाक के लिए अदालत में मामला दर्ज करवाया था लेकिन फिर दोनों में आपसी समझौता होने पर सौरभ ने तलाक का आवेदन वापस ले लिया था। इसके बाद इग्लैंड में नौकरी करने वाला सौरभ पूरे दो साल बाद वापस भारत आया था। ऐसे में दो साल की दूरी से मन में पैदा हुई एक दूसरे की तड़प क्या 12-15 दिन में ही लड़ाई झगडऩे में बदल गई।
थोड़ी देर में सरिता अपने माता-पिता के घर पहुंची जहां उसने रोते हुए बताया कि सौरभ के घर वालों ने उसका कत्ल कर दिया है। सरिता की बात सुनकर उसके माता-पिता बुरी तरह चौंक गए। यह सच है कि सरिता से माता-पिता की मर्जी के खिलाफ प्रेम विवाह करने के बाद सौरभ के परिवार ने उससे रिश्ता तोड़ते हुए अपनी संपति से भी बेदखल कर दिया था। लेकिन वे सौरभ की हत्या नहीं कर सकते। सवाल यह भी था कि आखिर हत्या के समय जब सरिता वहां मौजूद थी तो उसने शोर करके अपने मकान मालिक या पास रहने वाले दूसरे किरायेदार को क्यों नहीं बुलाया। पिता को सरिता की बात पर शक तो था लेकिन बेटी अपने सुहाग की हत्या की बात झूठ क्यों कहेगी इसलिए माता-पिता दोनों सरिता को साथ लेकर ब्रह्मïपुरी थाने के लिए रवाना हो गए। संयोग से इसी बीच रास्ते में पिता ने बेटी से पूछा यह कितने बजे की घटना है यह?
3 मार्च की, सरिता ने जबाब दिया तो पिता ने अचानक इतनी तेजी से एक्टिवा का ब्रेक लगाया कि पीछे बेटी मां और सरिता ने किसी तरह खुद को नीचे गिरने से रोका।
क्या बोली तू, 3 मार्च की?
हां।
आज 18 मार्च है, 15 दिन हो गए। फिर इस बीच 4 मार्च से कल 17 तक तो तू सौरभ के साथ शिमला घूमने गई थी। जब सौरभ की हत्या 3 को हो गई तो तू 4 को उसके साथ कैसे शिमला गई। पिता ने सरिता से पूछा तो सरिता सिर झुकाकर खड़ी रही। इससे प्रमोद रस्तोगी समझ गए कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है इसलिए उन्होंने उससे सच बताने को कहा तो बड़ी मुश्किल ने उसने माना कि खुद उसने ही साहिल के साथ मिलकर सौरभ की हत्या की थी। इसके बाद वह सौरभ के साथ नहीं बल्कि साहिल के साथ शिमला गई थी।
बेटी की बात सुनकर कविता और प्रमोद एक दूसरे का चेहरा देखते ठगे से रह गए। फिर कुछ सोचते हुए दोनों अपनी बेटी को लेकर ब्रह्मïपुरी थाने पहुंचे और वहां मौजूद पुलिस अधिकारी पूरी बात बता दी। घटना की जानकारी लगते ही एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह के अलावा एसएसपी विपिन टांडा भी थाने पहुुंच गए। जिसके बाद पुलिस ने सबसे पहले तो छापामारी कर सरिता के प्रेमी और सौरभ की हत्या में शामिल साहिल शुक्ला को उसकी नानी के घर से गिरफ्तार कर सौरभ का शव बरामद करने सरिता के घर पहुंचे।
सरिता और साहिल ने सौरभ के शव को तीन टुकड़ों में प्लास्टिक की टंकी में सीमेंट के घोल में जमा दिया था। पन्द्रह दिन में सीमेंट पत्थर की तरह जम चुका था इसलिए मजदूरों की मदद से सीमेंट में जमे सौरभ के शव के टुकड़ों को किसी तरह निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजने के साथ ही दोनों आरोपियों के पास से हत्या में प्रयुक्त चाकू एवं अन्य सामान बरामद करने के अलावा साहिल के घर की भी तलाशी ली जहां उसके कमरे से मिली शराब की खाली बोतले, तंत्र-मंत्र की सामग्री और कई आपत्तिजनक चीजे जब्त कर दोनों को अदालत में पेश कर उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई।
कहानी की नींव पड़ी 2010 में। तब सौरभ और सरिता दोनों 11-12 साल की उम्र के थे। सरिता के नामी ज्योतिषाचार्य नानाजी ब्रह्मïपुरी इलाके में रहते थे। सरिता नाना-नानी के साथ रहकर इसी इलाके के विवेकानंद हाईस्कूल में पढ़ती थी। सौरभ राजपूत की मां को ज्योतिष पर गहरा भरोसा था। इसलिए वह अक्सर सरिता के नानाजी के पास आती रहती थी। इस दौरान उनके साथ सौरभ भी होता था। इसी दौरान सौरभ और सरिता की दोस्ती हुई जो जल्द ही प्यार में बदल गई। सरिता दिन-रात सौरभ के सपनों में खोई रहने लगी। इसका नतीजा यह हुआ कि 9 वीं क्लास में वह फेल हो गई तो उसने हमेशा के लिए स्कूल छोड़ दिया। सौरभ ने उसे आगे पढऩे को कहा तो सरिता ने साफ कह दिया कि मेरा मन तुम्हारे अलावा न किताबों लगता है और न दुनिया में।
सौरभ के रसूखदार राजपूत परिवार में दूसरी समाज की लड़की को बहू बनाकर लाना असंभव था लेकिन किशोर सौरभ और सरिता को लगता था कि प्यार करने वाले कभी डरते नहीं। बहरहाल दोनों में इतनी समझ भी नहीं थी कि प्यार समाज से छुपकर करना पड़ता है। इसलिए खुले आम मोहल्ले के मंदिर और पार्क में मिलने-जुलने के कारण दोनों परिवार को अपने किशोर बच्चों की इस हरकत के बारे में खबर हो गई। दोनों के इश्क पर लगाम कसने की कोशिश हुई तो 14 साल की उम्र में वे घर से भाग गए। परिवार किसी भी तरह उन्हें खोजकर वापस ले आए। लेकिन सरिता और सौरभ दो साल बाद एक बार फिर भाग गए। इस बार पुलिस ने दोनों को तलाश कर परिवार वालों को सौंप दिया।
अब सौरभ और सरिता के परिवार समझ चुके थे कि ये दोनों आगे भी ऐसा कर सकते हैं। इसलिए बात उनकी शादी की चली जिसमें सौरभ के राजपूत परिवार ने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया। लेकिन सौरभ और सरिता एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। इसलिए 2016 में जिस रोज सरिता 18 साल की हुई उसके अगले रोज रात में एक बार फिर यह प्रेमी जोड़ा घर से भाग गया। सरिता बालिग हो चुकी थी इसलिए दोनों आपस में शादी कर मेरठ लौट आए।
यह देखकर सौरभ के परिवार ने उसे घर से वेदखल कर दिया। जिससे दोनों किराये का मकान लेकर रहने लगा। कुछ ही दिनों के बाद सौरभ की नौकरी मर्चेंट नेवी में लग जाने से इस प्रेमी जोड़े की लाइफ सेटल हो गई। नौकरी के चलते सौरभ को कई-कई महीने शिप पर रहना पड़ता था। नए जोड़े का एक दूसरे अलग रहना मुश्किल तो था लेकिन दोनों ने इस हालात से भी समझौता कर लिया था। शादी के अगले साल ही सरिता गर्भवती हो गई जिससे उसने एक बच्ची को जन्म दिया। बेटी के आ जाने के बाद सरिता का ज्यादातर समय अपनी बेटी के साथ बीतने लगा।
इधर शादी के दो साल बाद भी सौरभ के परिवार ने उसे वापस अपनाया तो नहीं लेकिन सौरभ के भाई-बहन यदाकदा उसके घर आने लगे तो सौरभ भी जब भारत में होता अपनी मां से मिलने घर आने जाने लगा। सौरभ मर्चेंट नेवी की नौकरी में काफी अच्छा कमा रहा था इसलिए उसने सरिता के लिए घर में सुख-सुविधा के सारे साधन जुटा दिए थे। इंग्लैंड में रहने के कारण उसे क्लब पार्टी और शराब का शौक भी हो गया था इसलिए वह जब तक भारत में रहता सरिता को लेकर पूरे देश में घूम-घूम कर बिंदास जिंदगी जीता।
कुछ दिन मेरठ में रहने के बाद सौरभ शिप पर वापस चला जाता तो 21-22 साल की उम्र की सरिता को अपनी रातों में सौरभ की कमी खलने लगती। क्योंकि यही वो उम्र होती है जब किसी भी युवक-युवती की शारीरिक मांग चरम पर होती है। इसलिए सौरभ की गैरमौजूदगी सरिता की रातों को नीरस बनाने लगी थी।
इसी बीच चार साल पहले अचानक ही सरिता की मुलाकात अपने स्कूल टाईम के दोस्त साहिल शुक्ला से हो गई। हुआ यह कि स्कूल में सरिता के साथ पढऩे वाले कुछ बच्चों ने मिलकर पुराने दोस्तों के मोबाइल नंबर खोज-खोज कर एक वाट्सएप ग्रुप बनाया। जिसमें जुडऩे के बाद सरिता को मालूम चला कि उसके साथ स्कूल में पढऩे वाला लड़का साहिल शुक्ला इन दिनों मेरठ में रहकर सीए कर रहा है। सरिता और साहिल की जिंदगी में काफी समानताएं थी जिसकी बात वे उन दिनों किया करते थे। जैसे ही सरिता बचपन से ही अपने नाना-नानी के यहां रहकर पढ़ाई कर रही थी तो साहिल भी अपने नाना-नानी के घर में रहकर उसकी विवेकानंद स्कूल में पढ़ता था जिसमें सरिता पढ़ती थी। दूसरी सबसे बड़ी समानता यह थी कि सरिता और साहिल दोनों की मां सौतेली थीं।
इसलिए जब वाट्सएप ग्रुप पर मुलाकात हुई तो एक ही शहर में होने की बात जानकर एक रोज वे आपस में मिले। साहिल अब पूरी तरह बदल चुका था। उसके पिता नोयडा में अधिकारी थे जिन्होंने मां की मृत्यु के बाद दूसरी शादी कर ली थी। साहिल का एक भाई लंदन में और बहन नोयडा में नौकरी करती थी जबकि वह यहां अकेली नानी के साथ रहकर सीए कर रहा था।
एक मुलाकात के बाद अक्सर दोनों में मुलाकात होने लगी। जिससे कभी साहिल सरिता से मिलने उसके घर आने लगा तो कभी सरिता साहिल के घर जाने लगी। जहां साहिल का कमरा देखकर सरिता को मालूम चला कि साहिल काला जादू सीख रहा है। दरअसल साहिल ने उसे बताया कि 18 साल पहले हुई मां की मौत ने उसे तोड़ दिया है वह मां के काफी करीब था इसलिए वह काले जादू के जरिए अपनी मां से स्नैप चैट पर बात करता है। वह मां को मैसेज लिखकर छोड़ देता है और उसे भरोसा है कि एक न एक रोज मां उसके मैसेज का जबाव देगी।
सरिता को साहिल के लाईफ जीने की इस स्टाइल से कोई ऐतराज इसलिए भी नहीं था क्योंकि सौरभ के साथ रहकर वह समझ चुकी थी कि हर एक आदमी की अपनी स्टाइल होती है। सौरभ को क्लब, पार्टी, डांस और हर पल को सेलीब्रेट करने का शौक था तो साहिल के अपने शौक और अपनी धुन। उसे साहिल के बीयर, गांजा और अन्य ड्रग्स लेने से भी कोई ऐतराज नहीं था।
समय के साथ साहिल और सरिता की मुलाकातें बढऩे लगी जिससे धीरे-धीरे रात की तनहाई में सरिता के सामने साहिल की तस्वीर उभरने लगी। वह सोचने लगी कि सौरभ की कमी साहिल पूरी कर सकता है। वह उसका पुराना दोस्त भी है और कुंवारा भी। सबसे बड़ी बात यह कि सरिता की तरह साहिल को भी रोकने टोकने वाला कोई नहीं था। लेकिन साहिल अपनी तरफ से पहल क्यों नहीं कर रहा इस बात का लेकर वह कुछ दिन तो परेशान रही फिर उसने खुद पहल करने की एक शातिर योजना बना ली। उसे मालूम था कि साहिल अपनी दिवंगत मां की आत्मा से बात करने के लिए स्नैप चैट पर मैसेज छोड़ता था इसलिए उसने इसी रास्ते से साहिल को घेरने की योजना बनाकर अपने भाई के मोबाइल नंबर से एक फर्जी स्नैप चैट एकाउंट बनाकर उसके जरिए साहिल की मां की आत्मा बनकर साहिल को उसकी चैट के जबाव देना शुरू कर दिया।
स्नैप चैट पर 18 साल पहले मर चुकी मां के जबाव आने से साहिल खुशी में पागल हो गया। उसने यह बात सरिता को बताई तो सरिता ने खुशी व्यक्त करते हुए साहिल को अपनी बाहों में लेपेट लिया। सरिता की इस हरकत का वही असर हुआ जो सरिता चाहती थी। दरअसल ऐसा करने पर जब साहिल ने खुद को एक जवान खूबसूरत युवती के जिस्म को अपने इतने करीब पाया तो उसकी नशों में खून उबलने लगा। सरिता के बारे में उसने सोचा तो कई बार था लेकिन यह सोचकर रह जाता था कि शादीशुदा सरिता शायद ही अपने पति को धोखा दे की सोचे।
कुछ देर बाद साहिल अपने घर चला गया लेकिन इसके बाद उसने सरिता की तरफ पहल करने का फैसला कर अगले ही दिन मां से बात होने की खुशी में सरिता के लिए पार्टी देने की बात कही तो सरिता बोली ठीक है तुम मेरे घर आ जाना हम दोनों यही पार्टी करेंगे। दूसरे दिन सरिता साहिल के साथ एकांत की चाहत में अपनी बेटी को माता-पिता के घर छोड़ आई जिसके बाद रात में पार्टी के दौरान जब साहिल ने उसके सामने बीयर पीने का प्रस्ताव रखा तो वह बोली यस, मैं तुम्हारे लिए वह सब करुंगी जिससे तुम्हेंं खुशी मिले। इसके बाद उसने साहिल के साथ बीयर भी पी और गांजा भी पिया। देर रात तक दोनों बेडरूम में पार्टी करते रहे इसके बाद अचानक की सरिता ने साहिल ने कहा कि यार तुमने ठीक किया जो अब तक शादी नहीं की।
क्यों तुम अपनी शादी से खुश नहीं हो क्या?
अरे नहीं यार बहुत खुश हू। पर तुम नहीं जानते कि जब तक सेक्स का स्वाद नहीं लिया तब तक तो ठीक है आदमी अपनी रातें काट लेता है लेकिन एक आदमी सेक्स से परिचित हो जाए तो अपने पार्टनर के बिना अकेले रातें बिताना बहुत मुश्किल होता है।
तुम्हारा पति भी तो वहां अकेला होगा।
क्या मालूम तो सकता हो और हो सकता है अकेला न भी हो, उसने इस जरूरत के लिए वहां कोई पार्टनर बना ली हो। सरिता की इन बातों से साहिल के दिमाग में स्नैप चैट पर आए मां के उस मैसेज की याद आ गई जिसमें उन्होंने कहा कि वो मेरी इस दोस्त के बारे में सब जानती हैं। सरिता बहुत अच्छी लड़की है तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती है। वास्तव में तो साहिल को आगे बढऩे के लिए खुद सरिता ने ही अपने फर्जी एकाउंट से साहिल को यह मैसेज लिखा था।
इधर सरिता की ऐसी बातें सुनकर साहिल अपना कंट्रोल खोने लगा तो यह देखकर सरिता बोली सारी यार रात में मुझे इतने भारी कपड़े पहनने की आदत नहीं है यदि तुम बुरा न मानों में तो मैं चेंज कर लूं। ओके सरिता की बात सुनकर साहिल बाहर ड्राइंग रूम में जाने लगा तो यह देखकर सरिता बोली अरे तुमसे किसने बाहर जाने का कहा। मुझे तुमसे कोई दिक्कत नही मैं तुम्हारे सामने भी चेंज कर सकती हूं। विस्मय से भरा साहिल वापस बैठ गया जिसके बाद सरिता ने साहिल को अपनी सुंदरता की जो झलक दिखाई उससे वह पागल होकर सरिता से लिपट गया तो सरिता ने भी उसे अपनी बाहों में कसकर पलंग पर गिरा लिया। इसके बाद साहिल ने सरिता को रोज बीयर, गांजा और ड्रग्स का नशा तथा सरिता ने साहिल को अपने रूप का नशा पिलाना शुरू कर दिया। साहिल के पास खुद भी पैसा था यहां सौरभ भी सरिता को हर महीने बड़ी रकम भेजता था जिससे सरिता अपने प्रेमी पर लुटाने लगी। अपितु कोरोना काल में सौरभ की मर्चेंट नेवी की नौकरी जाती रही थी। जिसके बाद वह इंग्लैंड के एक मॉल में नौकरी कर रहा था।
धीरे-धीरे साहिल का अक्सर सरिता के घर में बना रहना पड़ोसियों की नजर में आया तो सरिता ने उनको बताया कि यह उसका भाई है जो रोज उसका खाना लेकर आता है। लेकिन पड़ोसी इतने भोले तो नहीं होते। इसलिए हुआ यह कि एक रोज मकान मालिक ने उस वक्त उत्सुकता वश सरिता के कमरे में झांक लिया जब साहिल अंदर था। उस समय सरिता और साहिल पूरी तरह निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख लूटने में खोए हुए थे। इसलिए यह देखकर मकान मालिक ने सरिता से तो कुछ नहीं कहा लेकिन कुछ समय के बाद सौरभ के भारत आने पर उसने इस बात की जानकारी सौरभ को दे दी। सरिता के धोखे की जानकारी से सौरभ टूट गया और उसने तलाक फाइल कर दिया। लेकिन सरिता इसके लिए तैयार नहीं थी। फिर परिवार वालों ने दोनों का समझौता भी करवा दिया जिसके बाद 2023 में सौरभ वापस इंग्लैंड चला गया। सौरभ वहां से वह सरिता के खर्च के लिए हमेशा बड़ी रकम भेजता रहा पर दो साल तक भारत नहीं आया। जिसका फायदा उठाकर साहिल ने सरिता को नशे की और सरिता ने साहिल को अपने संग करने की लत लगा दी।
दो साल बीतने पर सौरभ का गुस्सा थोड़ा कम हुआ साथ ही उसे अपनी भी गलती का अहसास हुआ कि जो वह जवान पत्नी से दूर रहा। इसलिए भारत में ही रहकर नौकरी करने का मन बनाकर 25 फरवरी को सरिता के जन्म दिन के रोज सौरभ भारत वापस आया। यहां आकर उसने धूमधाम से सरिता का जन्म दिन मनाया। लेकिन सौरभ के भारत आने पर सरिता और साहिल पागल हो गए। दोनों को डर था कि सौरभ के यहां रहते हुए वे न तो नशा कर पाएंगे और न अय्याशी। बिना नशा के अब सरिता भी नहीं रहना चाहती थी इसलिए साहिल ने सरिता से सौरभ को रास्ते से हटा देने के लिए कहा जिस पर सरिता राजी भी हो गई।
तीन मार्च को बेटी को माता-पिता के घर छोड़कर आने के बाद सरिता ने सौरभ के रात के खाने में नींद की गोलियां मिलाकर खिला दी। जिससे रात में जब वह बेहोश हो गया तो सरिता ने साहिल को बुलाकर सीने में चाकू घोंपकर उसे मार डाला और शव के टुकड़ों को दूसरे दिन प्लास्टिक की टंकी में भरकर ऊपर से सीमेंट का धोल भर दिया।
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पति के पैसों पर प्रेमी संग हनीमून
सौरभ की लाश ठिकाने लगाने के बाद सरिता सौरभ के लाए एक लाख रुपए लेकर प्रेमी के साथ शिमला, मनाली घूमने चली गई। शिमला के एक मंदिर में दोनों ने माला पहनाकर आपस में शादी कर ली और दस दिन तक नशे में डूबकर हनीमून मनाते रहे। जिसके बाद जब पैसा खत्म हो गया तो वापस मेरठ आ गए। जांच में सामने आया है कि इसके लिए दोनों ने 54 हजार रुपए में टैक्सी बुक की थी।
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मां बनकर साहिल को बोलती थी प्यार करने
साहिल काले जादू की मदद से अपनी मृत मां की आत्मा से स्नैप चेट पर बात करने की कोशिश कर रहा था। इसकी जानकारी लगने पर सरिता ने फर्जी आईडी बनाकर साहिल की मां की आत्मा बनकर उसे जबाव देना शुरू कर दिया था। इस दौरान वह साहिल को उसकी मां बनकर बताती थी कि जिस लड़की से तुम्हारी दोस्ती है वह बहुत अच्छी है। वो तेरे लिए कुछ भी कर सकती है वह हमेशा तुझे खुश रखेगी।
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प्रेमी को सेक्स टॉय बनाकर रखना चाहती थी सरिता
पूरे घटनाक्रम से साफ है कि साहिल सरिता से शादी करना चाहता था जबकि सरिता केवल उसका उपयोग सेक्स टॉय के तौर पर करना चाहती थी। ताकि शारीरिक जरूरत साहिल से और आर्थिक जरूरत सौरभ से पूरी होती रहें। इसीलिए उसने सौरभ को तलाक देने से मना कर दिया था। क्योंकि वह जानती थी के नशे और काले जादू का दीवाना साहिल जिंदगी में इतना पैसा नहीं कमा सकता जितना सौरभ उसे हर महीने खर्च के लिए भेजता है।
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सिर और कलाई काटकर ले गया था अपने साथ
जांच में सामने आया है कि हत्या के बाद साहिल ने सौरभ का सिर और दोनों हथेलियां काटकर अपने कमरे मेंं ले गया था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या साहिल और सरिता कटे सिर और हथेलियों से कोई तांत्रिक क्रिया की थी। क्योंकि लाश छोटा करने के लिए अपराधी आमतौर पर सिर-पैर और हाथ काटते है। इसलिए केवल कलाई क्यों काटी गई इस बात की जांच की जा रही है। दूसरे दिन आरोपियों ने बाजार से प्लास्टिक की टंकी लाकर लाश को सीमेंट के घोल में जमा दिया था।
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नहीं तोडऩे दी टंकी
शिमला से लौटने के बाद सरिता और साहिल ने सीमेंट में जमी लाश को दो मजदूरों की मदद से आटो में रखकर बाहर ठिकाले लगाने का प्रयास भी किया लेकिन जब मजदूरों ने बताया कि सीमेंट तोड़े बिना इसका बाहर जाना असंभव है तो दोनों डर गए थे। बताया जाता है कि इसके बाद ही सरिता ने अपने परिवार वालों को हत्या की झूठी कहानी बनाकर सुनाई थी।
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जेल में एक साथ रहना चाहते है आरोपी
आरोपी साहिल और सरिता को अपने अवैध रिश्ते को लेकर जरा भी शर्म नहीं है। इसलिए जेल पहुंचकर दोनों ने एक ही बैरक में साथ रखे जाने की मांग की। सरिता ने जेलर को बताया कि वे दोनों एक दूसरे के बिना नहीं सो सकते। लेकिन जेलर ने नियमों को हवाला देकर बताया कि यह जेल है होटल नहीं यहां पति-पत्नी भी एक साथ नहीं रखे जाते।
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दोनों की मां सौतेली, नाना-नानी के घर रहकर बड़े हुए
आरोपी सरिता और साहिल दोनों की मां की मौत हो चुकी है। सरिता की मां करूणा की मौत के बाद उसके पिता प्रमोद ने सरिता की मौसी यानी अपनी साली कविता के साथ शादी की है जबकि पत्नी की मौत के बाद साहिल के पिता ने दूसरी महिला से शादी की है तो उनके साथ नोयडा में रहती है। सरिता और साहिल दोनों अपने नाना-नानी के घर में रहकर बड़े हुए है।
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कत्ल और काला जादू