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सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार, मंत्री ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ डाली एसएलपी
Jabalpur, MP

मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया गया है। विजय शाह ने जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने फिलहाल इस याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
क्या है पूरा मामला?
मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह ने इंदौर जिले के महू तहसील के रायकुंडा गांव में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि ‘पाकिस्तानियों ने हमारे देशवासियों के कपड़े उतारे, लेकिन हमने उनकी समाज की बहन (कर्नल सोफिया कुरैशी) को भेजकर उनकी धुलाई करवा दी।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि आतंकियों ने मोदी को बताया था कि उन्होंने हिंदुओं को मारा और उनके कपड़े उतारे, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी बहन को सेना के जहाज पर भेजा ताकि वे आतंकियों को सबक सिखा सकें।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिए FIR दर्ज करने के
विजय शाह के इस विवादित बयान ने प्रदेश की राजनीति में तहलका मचा दिया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और इस्तीफे की मांग की। इस विवाद के बीच जबलपुर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किए। खंडपीठ में जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
एसआईटी ने दर्ज की FIR, मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
इसी आदेश के बाद इंदौर के महू के मानपुर थाने में विजय शाह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। जिसके बाद मंत्री ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सोमवार को अगली सुनवाई तय की है।
राजनीतिक गलियारों में जारी है चर्चा
विजय शाह की इस टिप्पणी को लेकर प्रदेश में राजनीतिक गरमाहट बनी हुई है। विपक्षी दल लगातार उन्हें बर्खास्त करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने मामले को कानून के दायरे में बताते हुए न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करने की बात कही है।