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‘द इमरजेंसी डायरीज’: आपातकाल में पीएम मोदी के संघर्षों की कहानी, आज अमित शाह करेंगे किताब का विमोचन
Jagran Desk

आज जब देश में आपातकाल की 50वीं बरसी मनाई जा रही है, ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघर्षों पर आधारित पुस्तक "द इमरजेंसी डायरीज – ईयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर" का विमोचन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया जा रहा है। इस पुस्तक में 1975 से 1977 तक के उस दौर का उल्लेख है, जब भारतीय लोकतंत्र पर आपातकाल का अंधेरा छाया था।
प्रधानमंत्री मोदी की आपबीती
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए लिखा,
"आपातकाल के समय मैं एक युवा स्वयंसेवक था। यह मेरे लिए सीखने का समय था – कैसे लोकतंत्र को बचाने के लिए आंदोलन खड़ा किया जाता है, कैसे विचारधारा के लिए समर्पण किया जाता है।"
उन्होंने कहा कि "द इमरजेंसी डायरीज" न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों का लेखा-जोखा है, बल्कि यह उन सभी संघर्षशील क्षणों की साक्षी भी है जिनमें देश की आत्मा को बचाए रखने की जद्दोजहद की गई।
HD देवेगौड़ा ने लिखा प्रस्तावना
इस पुस्तक की प्रस्तावना भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं आपातकाल विरोधी आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। पुस्तक का प्रकाशन ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने किया है।
किताब में क्या है खास?
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आपातकाल के दौरान पीएम मोदी के भूमिगत जीवन, छिपे हुए संघर्षों, रणनीतियों और अनुभवों का वर्णन।
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उन सहयोगियों के संस्मरण, जिन्होंने उस दौर में मोदी के साथ काम किया।
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दस्तावेज़ी प्रमाण, जो इस किताब को ऐतिहासिक आधार देते हैं।
पीएम मोदी ने जनता से क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा:
"जो लोग उस कालखंड से गुजरे हैं, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें ताकि युवा पीढ़ी 1975 के काले अध्याय से सबक ले सके।"
जेपी नड्डा ने क्या कहा?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इस अवसर पर कहा कि:
“यह पुस्तक आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की प्रेरक गाथा है। देश को यह नहीं भूलना चाहिए कि कैसे एक दल ने सत्ता की खातिर भारत को व्यक्तिगत प्रयोगशाला में बदल दिया था।”