भारत की क्रिप्टो उलझन: टैक्स के घेरे में फिर भी नियंत्रण से बाहर

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भारत में क्रिप्टो एसेट्स को लेकर नीति और नियमन की गुत्थी लगातार उलझती जा रही है। एक ओर सरकार टैक्स वसूली के ज़रिए इसे वैधानिक दायरे में लाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर नियंत्रण के अभाव में यह पूरा इकोसिस्टम हाथ से फिसलता दिख रहा है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) से ₹269.09 करोड़ और 2023-24 में ₹437.43 करोड़ टैक्स वसूला गया। ये आंकड़े बढ़ती टैक्स जागरूकता को तो दर्शाते हैं, लेकिन यह भारत में चल रहे असली क्रिप्टो लेनदेन का एक छोटा हिस्सा भर हैं।

 सरकारी निगरानी सीमित, ब्लॉकचेन की रफ्तार तेज़

ब्लॉकचेन और क्रिप्टो एनालिटिक्स फर्मों का अनुमान है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो यूज़र बेस में से एक है। ऐसे में सरकार की निगरानी और टैक्स वसूली की मौजूदा व्यवस्था अपर्याप्त प्रतीत होती है।

नज अभियान, प्रोजेक्ट इनसाइट और NMS जैसे कदमों के बावजूद सरकार की नीति फिलहाल रिएक्टिव है, यानी गड़बड़ी के बाद कार्रवाई होती है। वहीं टैक्स विभाग ने हाल ही में हजारों यूज़र्स को नोटिस भेजे, जिन्होंने अपनी क्रिप्टो आमदनी सही तरीके से नहीं बताई थी।

कोई केंद्रीकृत सिस्टम नहीं, TDS भी अधूरा

सरकार ने अब तक ऐसा कोई केंद्रीकृत तंत्र विकसित नहीं किया है जो VDA सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा की गई TDS फाइलिंग को व्यक्तिगत टैक्स रिटर्न से लिंक कर सके। इससे टैक्स चोरी और डेटा की पुष्टि में बड़ी बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

 विदेशी प्लेटफॉर्म्स की पहुंच कानून से बाहर

सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बड़ी संख्या में भारतीय निवेशक ऐसे विदेशी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर रहे हैं जो भारत के कानूनों से बाहर हैं। ये प्लेटफॉर्म KYC की आवश्यकता नहीं रखते, P2P के जरिए INR में ट्रांज़ैक्शन करते हैं, और सरकार की निगरानी से पूरी तरह बाहर हैं।

 गेमिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का नया जरिया

30 जुलाई को मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कुछ विदेशी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां भी अब क्रिप्टो के जरिए टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग कर रही हैं। ऐसे लेन-देन में भारी रक़म अज्ञात वॉलेट्स और प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से घूमाई जा रही है।

सरकार को हो चुका है ₹6,000 करोड़ का टैक्स नुकसान

एक थिंक टैंक के अनुसार, अब तक सरकार को ₹6,000 करोड़ से अधिक का टैक्स नुकसान हो चुका है और यह अगले 5 सालों में ₹10,700 करोड़ तक पहुंच सकता है, यदि नीति में ठोस बदलाव न किया गया।

समाधान: लाइसेंसिंग और कानूनी ढांचे की ज़रूरत

भारत को अब टैक्सेशन से आगे बढ़कर एक व्यापक कानूनी ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है जिसमें सभी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स, वॉलेट्स, स्टेबलकॉइन जारीकर्ता और इंटरमीडियरीज़ का अनिवार्य पंजीकरण और लाइसेंसिंग हो।

रीयल टाइम API आधारित टैक्स रिपोर्टिंग, FIU-IND को रिपोर्टिंग व्यवस्था, और यूज़र्स के लिए पारदर्शी निवेश गाइडलाइंस जरूरी हैं। इसके बिना न तो निवेशकों की सुरक्षा संभव है और न ही राजस्व की स्थिरता।

 टैक्स अधिकारियों को ब्लॉकचेन ट्रेनिंग दी जा रही

सरकार ने NFSU जैसे संस्थानों के सहयोग से टैक्स अधिकारियों को ब्लॉकचेन फॉरेंसिक्स और डेटा एनालिटिक्स की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। यह पहल सराहनीय है, पर तभी कारगर होगी जब इसके साथ ठोस कानून भी बने।

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