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असम पंचायत चुनाव में BJP की प्रचंड बढ़त, दो सीटों पर टॉस से तय हुई जीत
JAGRAN DESK

'ऑपरेशन सिंदूर' की राजनीतिक गहमागहमी के बीच असम में हुए पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी असम गण परिषद (AGP) बड़ी जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही हैं। वहीं इस चुनाव के दौरान कुछ अनोखी और हैरान कर देने वाली घटनाएं भी सामने आई हैं, जहां दो सीटों पर विजेता का फैसला सिक्का उछालकर किया गया।
भाजपा की जोरदार बढ़त, कांग्रेस पीछे
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, भाजपा अब तक आंचलिक पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों की 2,192 सीटों में से 242 सीटें जीत चुकी है, जबकि AGP को 30 सीटों पर सफलता मिली है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को केवल 34 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं 14 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे चल रहे हैं और AIUDF ने एक सीट पर कब्जा जमाया है।
जिला परिषद की 397 सीटों में से भाजपा ने 26 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि AGP को 3 सीटों मिली हैं। अन्य किसी दल का अब तक खाता नहीं खुला है।
ग्राम पंचायत की 21,920 सीटों पर भी चुनाव संपन्न हुए, हालांकि यहां चुनाव पार्टी चिह्न पर नहीं बल्कि स्वतंत्र (निर्दलीय) रूप से लड़ा जाता है। हजारों सीटों के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं।
टॉस से तय हुई दो महिला प्रत्याशियों की किस्मत
इस चुनाव में दो सीटें ऐसी भी रहीं जहां मतदान बराबरी पर छूट गया और परिणाम घोषित करने के लिए निर्वाचन अधिकारियों को सिक्का उछालने का सहारा लेना पड़ा।
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गोलाघाट जिले की वार्ड नंबर 6 में कुल चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। यहां दो महिला प्रत्याशियों – नलिन लेखाथोपी और उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 130-130 वोट मिले। जब अधिकारी उलझन में पड़ गए तो वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श लिया गया और तय किया गया कि टॉस के माध्यम से परिणाम घोषित किया जाएगा। किस्मत ने नलिन का साथ दिया और वे विजयी घोषित हुईं।
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ऐसा ही मामला नागांव जिले के वार्ड नंबर 7 में सामने आया जहां पूरबी राजखोआ और उनकी प्रतिद्वंद्वी को 618-618 वोट मिले। यहां भी फैसला टॉस से हुआ और पूरबी विजेता रहीं।
यह नियम पंचायत चुनावों की निर्वाचन प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें यदि दो उम्मीदवारों को समान संख्या में मत प्राप्त होते हैं तो लॉटरी या टॉस के जरिए विजेता तय किया जा सकता है। हालांकि जमीनी स्तर पर तैनात कुछ चुनाव अधिकारियों को इस नियम की जानकारी नहीं थी, जिससे कुछ समय के लिए असमंजस की स्थिति बन गई। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर प्रक्रिया पूरी की गई।