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सावन में क्यों नहीं खाते लहसुन-प्याज? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक वजहें
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सावन का महीना केवल वर्षा और हरियाली का मौसम नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक अनुशासन, मानसिक शुद्धि और शारीरिक संतुलन का अवसर भी होता है।
भगवान शिव को समर्पित यह पावन महीना व्रत, उपवास और संयम का प्रतीक है। ऐसे में भोजन को लेकर भी विशेष सावधानी बरती जाती है। खासकर लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है — इसके पीछे केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ठोस वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं।
1. धार्मिक दृष्टिकोण: तामसिक भोजन से बचाव
सनातन धर्म में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है — सात्त्विक, राजसिक और तामसिक। लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है, जो शरीर में आलस्य, काम और क्रोध जैसी भावनाएं बढ़ाता है। सावन में शिवभक्ति के दौरान मन और इंद्रियों को शांत रखना आवश्यक माना गया है, इसलिए इस तरह के भोजन से दूरी बनाई जाती है।
2. वैज्ञानिक कारण: कमजोर पाचन तंत्र
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, बरसात के मौसम में पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है। लहसुन और प्याज की तासीर गर्म होती है, जिससे पेट में गैस, एसिडिटी, उल्टी और सीने में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सावन में अधिकतर लोग व्रत रखते हैं और हल्का भोजन करते हैं, ऐसे में गरिष्ठ पदार्थों से बचना ज़रूरी है।
3. बैंगन और पत्तेदार सब्जियां भी न खाएं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बरसात में नमी और आद्र्रता के कारण वातावरण में बैक्टीरिया और कीटाणु अधिक होते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों और बैंगन में कीड़े-मकोड़े पनप सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। साथ ही बैंगन पचाने में भी कठिन होता है, इसलिए इससे बचाव की सलाह दी जाती है।
4. क्या खाएं सावन में?
सावन में डाइट को संतुलित और हल्का रखना चाहिए। हल्दी, अदरक और तुलसी की चाय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। वहीं लौकी, परवल, तोरई, मूंग दाल, खिचड़ी, और चीला जैसी हल्की चीजें भोजन में शामिल की जा सकती हैं। किसी भी फल या सब्जी को पकाने या खाने से पहले अच्छे से धोना बेहद जरूरी है, ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
5. संयम ही है सच्चा पूजन
सावन में पूजा-पाठ जितना आवश्यक है, उतना ही जरूरी है संयम और अनुशासन। खान-पान में शुद्धता रखने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। लहसुन और प्याज से परहेज करके भक्त न केवल धार्मिक अनुशासन निभाते हैं, बल्कि अपने शरीर को भी मौसम के अनुकूल बनाए रखते हैं।