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रीवा में बारिश से तबाही: हॉस्टल में फंसे 45 छात्र रेस्क्यू, घरों में घुसा पानी, मजदूर 9 घंटे तक छत पर फंसे
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रीवा में बुधवार रात से लगातार हो रही बारिश ने शहर को पानी-पानी कर दिया। कई मोहल्लों में पानी ने तबाही मचाई और हालात बाढ़ जैसे बन गए।
सबसे बड़ा मामला निराला नगर स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल बॉयज हॉस्टल का रहा, जहां बारिश का पानी 6 फीट तक भर गया। 45 छात्र दो मंजिला हॉस्टल की ऊपरी मंजिल पर फंसे रह गए, जिन्हें नाव की मदद से एक घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन में निकाला गया।
हॉस्टल में सुबह खुली नींद, पानी से भरे मिले कमरे
छात्रों ने बताया कि जब सुबह आंख खुली तो देखा कि पहली मंजिल तक पानी भर चुका है और कमरों में पानी घुस चुका है। सभी छात्र अपनी जान बचाने के लिए दूसरी मंजिल पर शिफ्ट हो गए और प्रशासन को कई बार फोन किया। मदद नहीं मिलने पर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद रेस्क्यू टीम पहुंची और नाव के जरिए छात्रों को बाहर निकाला गया।
रेस्क्यू के बाद राहत नहीं
छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें जिस स्थान पर अस्थायी राहत के लिए ले जाया गया, वह गंदगी और अव्यवस्था से भरा हुआ था। न तो खाने का इंतजाम था, न पीने के पानी की व्यवस्था। कई छात्र बीमार भी हो गए, जबकि उनका सामान पूरी तरह भीग गया।
घरों में घुसा पानी, सड़क पर बहा सामान
निराला नगर, वार्ड-36, और शहर के अन्य हिस्सों में कई घरों में पानी घुस गया। घरेलू सामान बहने लगा और लोग घर छोड़ने पर मजबूर हो गए। स्थानीय निवासी प्रिया शर्मा ने कहा, “24 घंटे की बारिश में पूरा मोहल्ला डूब जाता है। नगर निगम सिर्फ नाम का है।”
100 साल पुरानी बिल्डिंग में फंसे 20 लोग, क्रेन से रेस्क्यू
वार्ड-36 में एक जर्जर इमारत की लोहे की 20 फीट ऊंची सीढ़ी गिर गई, जिससे दूसरी मंजिल पर रह रहे 20 लोग फंस गए। प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम ने क्रेन और खिड़की काटकर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला।
निर्माणाधीन अस्पताल में 11 मजदूर छत पर फंसे
रीवा से 40 किमी दूर सथनी गांव में निर्माणाधीन अस्पताल की बिल्डिंग में बारिश का पानी भर गया। अंदर काम कर रहे 11 मजदूरों (9 पुरुष और 2 महिलाएं) को छत पर 9 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। एसडीआरएफ की टीम ने तेज बहाव में नाव के जरिए उन्हें रेस्क्यू किया।
अधिकारियों की लापरवाही पर उठा सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम और प्रशासन को पहले से बारिश की चेतावनी थी, फिर भी कोई इंतजाम नहीं किया गया। नाले और जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने से हालात बिगड़ते चले गए। कई इलाकों में अब भी जलभराव है और लोग राहत की राह देख रहे हैं।