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उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट आज रात खुलेंगे, सिर्फ 24 घंटे मिलेंगे दुर्लभ दर्शन
Dharm desk

कालों के काल महाकाल की नगरी उज्जैन में एक और अलौकिक चमत्कारिक मंदिर है — श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो वर्ष में केवल एक बार और सिर्फ 24 घंटे के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है।
यह मंदिर श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित है, जहां भगवान शिव की एक दुर्लभ मूर्ति विराजमान है, जो नेपाल से लाई गई थी।
सिर्फ एक रात के लिए खुलते हैं कपाट
हर साल सिर्फ श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। इस बार यह पावन अवसर 28 जुलाई सोमवार रात 12 बजे से आरंभ होगा और 29 जुलाई रात 12 बजे तक दर्शन होंगे।
इस 24 घंटे में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं ताकि वे इस दुर्लभ और दिव्य स्वरूप के दर्शन कर सकें। मंदिर की व्यवस्था और पूजा श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की देखरेख में होती है।
11वीं सदी की दुर्लभ प्रतिमा
महंत विनीत गिरी के अनुसार, यह प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। मूर्ति में भगवान शिव के मस्तक पर सात फनों वाला शेषनाग छत्र बना रहा है। साथ ही माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय, सूर्य और चंद्रमा भी एक ही प्रतिमा में दिखाई देते हैं। भगवान अपने वाहन नंदी और सिंह के साथ विराजमान हैं।
यह मूर्ति नेपाल से लाई गई थी और इसे मंदिर के ऊपरी हिस्से में स्थापित किया गया, जहाँ आम दिनों में श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं होती।
पूजा-अर्चना का विशेष क्रम
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28 जुलाई रात 12 बजे: मंदिर के कपाट खुलेंगे और त्रिकाल पूजा प्रारंभ होगी।
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29 जुलाई दोपहर 12 बजे: पुनः विधिपूर्वक पूजा श्री अखाड़ा और प्रशासन की उपस्थिति में होगी।
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29 जुलाई शाम: विशेष आरती व अंतिम दर्शन की व्यवस्था।
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29 जुलाई रात 12 बजे: कपाट पुनः एक वर्ष के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था
प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष दर्शन मार्ग, कतारबद्ध व्यवस्था, सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम किए हैं। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जल, शौचालय और प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई है।