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भूपेश बघेल पर संकट के बादल: न ईडी से राहत, न पार्टी का साथ
Raipur, CG
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चारों ओर संकट की घनी परतें गहराती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद अब राजनीतिक मोर्चे पर भी उन्हें अकेलेपन का सामना करना पड़ रहा है।
पहले उनके करीबी अफसरों पर ईडी का शिकंजा कस चुका है, और अब उनके बेटे की गिरफ्तारी के बाद भूपेश बघेल खुद भी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, बघेल पर मुख्यमंत्री रहते हुए लगभग ₹4500 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप है, जिनमें से केवल ₹700–800 करोड़ ही पार्टी नेतृत्व तक पहुंचने की बात कही जा रही है। बाकी राशि कथित रूप से दुबई में छुपाई गई बताई जा रही है।
इन घटनाओं के बीच कांग्रेस पार्टी में भी बघेल को समर्थन नहीं मिल पा रहा है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अब उनके खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं। एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा—
"जब सत्ता में थे, तब सबकुछ खुद के लिए किया, अब साथ की उम्मीद करना व्यर्थ है।"
2023 से ही ईडी की जांच की आंच उनके करीबी अफसरों तक पहुंच चुकी थी। वरिष्ठ आईएएस अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के साथ जुड़े कई घोटालों की जांच जारी है। टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से राहत जरूर मिली थी, लेकिन सौम्या चौरसिया के सहयोगी समीर विश्नोई और व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को जेल जाना पड़ा था।
अब स्थिति यह है कि कांग्रेस के भीतर से ही बघेल को एक तरह से 'अकेला छोड़' दिया गया है। न कोई नेता खुलकर उनके पक्ष में बोल रहा है, न ही कार्यकर्ता उनके समर्थन में सड़क पर उतर रहे हैं।
यह केवल एक राजनेता की गिरावट नहीं, बल्कि पार्टी संगठन के भीतर विश्वास संकट और नेतृत्व के दोषों को भी उजागर करता है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है—क्या भूपेश बघेल की गिरफ्तारी अब सिर्फ वक्त की बात है?
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