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भूपेश बघेल के आवास पर ED की छापेमारी: तमनार पेड़ कटाई मुद्दे से पहले कार्रवाई, विपक्ष बोला- लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है
Raipur, CG
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छत्तीसगढ़ की राजनीति शुक्रवार सुबह एक बार फिर गरमा गई, जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने छापेमारी की।
सुबह 6 बजे शुरू हुई इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में CRPF के जवानों के साथ चार गाड़ियों में ईडी अधिकारी पहुंचे। इस दौरान पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया।
छापे के समय विधानसभा सत्र का अंतिम दिन था और भूपेश बघेल के मुताबिक, वे अडानी प्रोजेक्ट के तहत तमनार क्षेत्र में हो रही पेड़ों की कटाई का मामला सदन में उठाने वाले थे। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा—“ED आ गई है। ‘साहेब’ ने भेजा है, क्योंकि आज तमनार के जंगलों का मुद्दा उठाना था।” बघेल के इस ट्वीट के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल और तेज हो गई।
भूपेश बघेल का दावा – नोट गिनने की मशीनें, परिवार के लोगों से नकद जब्ती
यह पहला मौका नहीं है जब भूपेश बघेल ईडी के निशाने पर आए हैं। मार्च 2025 में भी उनके निवास पर छापेमारी हुई थी। उस दौरान उन्होंने दावा किया था कि उनके परिवार के सदस्यों से 33 लाख रुपये नकद मिले थे, जिसमें खेती, डेयरी और स्त्रीधन की राशि शामिल थी। उन्होंने कहा—“नोट गिनने की मशीनें लाई गईं, मानो मैं कोई अपराधी हूं। क्या 33 लाख कोई बहुत बड़ी रकम है?”
इस बार की कार्रवाई में भी ईडी ने कथित तौर पर दस्तावेज और करीब 32-33 लाख रुपये जब्त किए हैं। बघेल ने बताया कि मंतूराम केस से जुड़ी एक पेनड्राइव भी जब्त की गई है। दिन में जांच के दौरान सोने की जांच करने वाली मशीनें भी मंगवाई गईं। इस बीच ईडी की एक गाड़ी पर स्थानीय लोगों ने पथराव भी कर दिया।
ED के छापे पर कांग्रेस का तीखा हमला
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस कार्रवाई को 'डबल इंजन सरकार द्वारा विपक्ष का गला घोंटने' की कार्रवाई बताया। उन्होंने लिखा—“आज फिर पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ षड्यंत्र किया गया है। केंद्र की एजेंसियां बार-बार भेजी जा रही हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं मिला।” उन्होंने कहा कि भाजपा की 'बदले की राजनीति' को कांग्रेस पूरे जोर से जवाब देगी।
सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम, मीडिया तक को नहीं मिली एंट्री
छापेमारी के दौरान पुलिस बल की तैनाती अभूतपूर्व थी। दुर्ग और भिलाई शहर के एडिशनल एसपी खुद मौके पर थे। पाडुमनगर इलाके में मेन रोड से करीब 500 मीटर दूर तक किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी, यहां तक कि मीडिया को भी कवरेज से रोका गया। पुलिस ने दावा किया कि यह “सुरक्षा कारणों” से किया गया।
ED पर FIR भी, 25 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
छापे के दौरान ईडी की एक टीम की गाड़ी पर हुए पथराव के मामले में देर रात एफआईआर दर्ज की गई। ईडी अधिकारियों ने भिलाई थाने पहुंचकर शिकायत दी, जिसके आधार पर सुशील उर्फ सन्नी अग्रवाल समेत 25 लोगों पर शासकीय कार्य में बाधा डालने, रास्ता रोकने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का केस दर्ज किया गया।
राजनीति या संयोग? विधानसभा में मुद्दे उठाने से पहले कार्रवाई
पूर्व मुख्यमंत्री का यह भी दावा है कि ईडी की कार्रवाई केवल राजनीतिक दबाव बनाने की कवायद है। उन्होंने कहा कि जब भी वह सदन में सरकार से कठिन सवाल पूछते हैं, कुछ ही दिनों के भीतर जांच एजेंसियां उनके दरवाजे पर आ जाती हैं। “कवासी लखमा ने जैसे ही सवाल पूछे, आठ घंटे में ईडी पहुंच गई और आठ दिन में जेल हो गया। यही पैटर्न अब दोहराया जा रहा है,” उन्होंने कहा।
लोकतांत्रिक सवालों पर ‘जवाबी छापे’ का दौर
छत्तीसगढ़ की मौजूदा राजनीति में यह घटनाक्रम एक नया मोड़ ला सकता है। जहां केंद्र सरकार की एजेंसियां अपनी कानूनी कार्रवाई की बात करती हैं, वहीं कांग्रेस इसे ‘लोकतांत्रिक सवालों का गला घोंटने’ और ‘जनविरोधी नीतियों पर पर्दा डालने’ का प्रयास बता रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न केवल राज्य की विधानसभा, बल्कि संसद और चुनावी मंचों पर भी गूंज सकता है।