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इंदौर में दो सिर वाली नवजात ने तोड़ा दम, 16 दिन तक मौत से लड़ी जंग
Indore, MP
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इंदौर के महाराजा तुकोजीराव अस्पताल (MTH) में 22 जुलाई को जन्मी दुर्लभ संरचना वाली बच्ची ने गुरुवार को दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस बच्ची का शरीर एक था लेकिन दो सिर थे – एक अत्यंत दुर्लभ अवस्था जिसे पैरापैगस डायसेफेलस कहा जाता है।
स्पेशल केयर यूनिट में रखी गई थी बच्ची, घर ले जाने पर हुई मृत्यु
बच्ची को जन्म के बाद स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में लगातार निगरानी में रखा गया था। हालांकि, 6 अगस्त को देवास जिले के हरनगांव की रहने वाली मां ने डॉक्टरों की चेतावनी के बावजूद अस्पताल से डिस्चार्ज लिया और बच्ची को घर ले गई। अगले ही दिन गुरुवार को बच्ची की मौत हो गई।
दो दिल, एक शरीर – 0.1% से भी कम जीवित रहने की संभावना
डॉ. प्रीति मालपानी के अनुसार, बच्ची के शरीर में दो दिल थे जिनमें से एक पहले ही काम करना बंद कर चुका था। दूसरा दिल भी बेहद कमजोर था, जिससे पूरे शरीर को खून पहुंचाने में दिक्कत हो रही थी। ऐसी स्थिति में किसी शिशु का जीवित रहना लगभग असंभव (0.1% से भी कम) होता है।
सर्जरी असंभव, लगातार निगरानी थी जरूरी
डॉक्टरों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस बच्ची को अलग करने की कोई सर्जिकल संभावना नहीं है क्योंकि दोनों सिर गर्दन से जुड़े थे। बच्ची वेंटिलेटर सपोर्ट और मां के दूध के जरिए जीवित थी और 24 घंटे चिकित्सा निगरानी की जरूरत थी।
दुर्लभ केस स्टडी बना यह मामला
डॉ. अनुपमा दवे ने जानकारी दी कि यह स्थिति न तो आनुवंशिक है और न ही मां की सेहत से जुड़ी। ऐसे मामले 50 हजार से लेकर 2 लाख जन्मों में कभी-कभार सामने आते हैं। सामान्यतः ऐसे शिशुओं की गर्भ में या जन्म के 48 घंटे के भीतर मौत हो जाती है, लेकिन यह बच्ची 16 दिन तक जीवित रही – जो कि चिकित्सकीय रूप से एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है।