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भोपाल में मोहर्रम का जुलूस: करबला की शहादत की याद में मातम और ताजिए निकले, ट्रैफिक व्यवस्था बदली
Bhopal, MP

भोपाल शहर आज मोहर्रम के मातमी रंग में डूबा नजर आया। करबला की ऐतिहासिक घटना की याद में इमामबाड़ों से लेकर सड़कों तक मातम, तकरीरें और श्रद्धा का माहौल दिखा। 10वीं मोहर्रम यानी आशूरा के मौके पर जुलूस की शुरुआत फतेहगढ़ से हुई, जो विभिन्न मार्गों से होता हुआ करबला मैदान तक पहुंचा।
‘या हुसैन’ की सदाओं और ढोल-ताशों की गूंज के बीच सैकड़ों ताजिए, बुर्राक, परचम और मातमी सवारियां शहर की सड़कों से गुजरीं। इस दौरान हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे मातम में शरीक हुए।
जुलूस में सांप्रदायिक सौहार्द की झलक
फतेहगढ़ से प्रारंभ हुए मुख्य जुलूस ने मोती मस्जिद, मोहम्मदी चौक, पीरगेट, ताजुल मसाजिद होते हुए शहीद नगर स्थित करबला मैदान तक का रास्ता तय किया। शहर के विभिन्न इलाकों जैसे इमामबाड़ा, काजी कैंप, छोला, नारियल खेड़ा और गांधी नगर से छोटे-बड़े जुलूसों का एकत्रीकरण हुआ। जुलूस में शांति और समर्पण का उदाहरण पेश करते हुए कई सामाजिक संस्थाएं शामिल रहीं।
अंगारों पर मातम नहीं
इस बार इरानी डेरे में अंगारों पर चलने वाला पारंपरिक मातम नहीं किया गया। डेरे के प्रमुखों ने बताया कि स्थान की अनुपलब्धता के कारण इस बार यह आयोजन संभव नहीं हो सका।
करबला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मोहर्रम की शुरुआत इराक के करबला शहर की उस ऐतिहासिक घटना से जुड़ी है, जब 680 ईस्वी में यजीद की सत्ता के विरुद्ध हजरत इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। 10 मोहर्रम को हुसैन और उनके 72 अनुयायियों ने शहादत दी थी। उसी बलिदान को याद करते हुए आज का जुलूस निकाला गया।
शहर की यातायात व्यवस्था में बदलाव
मोहर्रम के चलते ट्रैफिक पुलिस ने 4 से 6 जुलाई तक विशेष व्यवस्था लागू की है। पुराने भोपाल के कई क्षेत्रों में शाम 6 बजे के बाद वाहनों की आवाजाही रोकी गई। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग दें।