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गंगा दशहरा पर नागा साधुओं ने नीलगंगा में लगाई डुबकी, भक्ति और आस्था से सराबोर हुआ शहर
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प्राचीन नगरी उज्जैन ने गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को एक बार फिर कुंभ के दिव्य दर्शन कराए। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अगुवाई में नागा साधुओं की भव्य पेशवाई नीलगंगा सरोवर तक निकाली गई। रथ, घोड़े, बैंड-बाजों और शाही लवाजमे के साथ संतों का यह आयोजन श्रद्धालुओं को सिंहस्थ पर्व की याद दिला गया।
सुबह 11 बजे सिंहस्थ पड़ाव स्थल नीलगंगा से शुरू हुई पेशवाई में साधु-संत रथों पर विराजमान होकर ढोल-नगाड़ों के साथ आगे बढ़े। उनके साथ अपने आराध्य देवता की झांकी, घोड़े और अनुयायी भी थे। पेशवाई मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने फूल बरसाकर साधु-संतों का स्वागत किया। नीलगंगा सरोवर पहुंचने पर सभी संतों ने सामूहिक रूप से पवित्र स्नान कर मां नीलगंगा की महाआरती की।
आस्था का केंद्र बना नीलगंगा सरोवर
नीलगंगा सरोवर परिसर में मां गंगा के प्रतीक रूप में मां नीलगंगा का श्रृंगार किया गया और सवा क्विंटल हलवे का भोग लगाया गया। वेणु नाद नृत्य अकादमी की बालिकाओं ने गंगा स्तुति की प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। शाम को भव्य आरती के साथ गंगा दशहरा का समापन हुआ। शिवांजलि गार्डन में श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का भी आयोजन किया गया।
संतों का हुआ विशाल जमावड़ा
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के अनुसार, इस आयोजन में परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज, जगतगुरु स्वामी वीरभद्र नंदगिरि महाराज, स्वामी कपिल पुरी महाराज, महामंडलेश्वर श्रद्धा गिरि माताजी, चेतना गिरि माताजी, शांति स्वरूपानंद गिरि और भगवतानंद गिरि सहित अनेक संत व महंत शामिल हुए। जूना अखाड़े के नागा साधुओं की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।