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जावरा से कैम्ब्रिज तक की उड़ान: आराध्य सेठिया बने अंतरराष्ट्रीय बैरिस्टर, 30 वर्ष की उम्र में रचा इतिहास
जावरा (मध्य प्रदेश)।

"हम परों से नहीं, हौसलों से उड़ते हैं..."
इस पंक्ति को साकार कर दिखाया है जावरा नगर के होनहार आराध्य सेठिया ने, जिन्होंने 30 वर्ष की आयु में इंग्लैंड की प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से लॉ में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली में एक नया मुकाम हासिल किया है। इससे भी बड़ी उपलब्धि यह रही कि आराध्य ने इनर टेम्पल में प्यूपिल बैरिस्टर के रूप में चयनित होकर ब्रिटिश न्याय प्रणाली का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त किया है।
यह गौरव अपने-आप में अनूठा है क्योंकि विश्व की सर्वोच्च न्याय संस्थाओं में काम करने का अवसर बहुत कम भारतीयों को मिल पाता है। अब आराध्य अंतरराष्ट्रीय अदालतों में बैरिस्टर के तौर पर सेवाएं देंगे और देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
एक छोटे शहर से वैश्विक न्याय के मंच तक
जावरा के वरिष्ठ पत्रकार अशोक सेठिया और मंजुला सेठिया के सुपुत्र आराध्य की प्रारंभिक शिक्षा जावरा के सेंट पीटर्स स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के डीपीएस, आरकेपुरम से हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की। कानून के क्षेत्र में करियर बनाने की ठानी और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में प्रवेश पाया, जहां उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 9 अर्जित की।
इसके बाद आराध्य ने पीछे मुड़कर नहीं देखा — उन्होंने एलएलएम अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से, एम.फिल. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से और अब पीएच.डी. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पूर्ण की। मेलबर्न यूनिवर्सिटी में एक साल तक उन्होंने "राजनीतिक ढांचे में संवैधानिक व्यवस्था" पर गहन शोध भी किया।
किताबें अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन से
आराध्य ने पिछले 15 वर्षों की अपनी समस्त शिक्षा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्तियों के सहारे पूरी की, जो उनकी बौद्धिक योग्यता और उत्कृष्टता का परिचायक है। उनकी पीएच.डी. थीसिस को अमेरिका के एक ख्यातनाम अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक ने स्वीकार कर प्रकाशन का निर्णय लिया है। यह किताब जल्द ही वैश्विक कानूनविदों के बीच शोध व संदर्भ का स्रोत बनेगी।
सम्मान, शुभकामनाएं और गौरव का क्षण
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आयोजित दीक्षांत समारोह में आराध्य को डॉक्टरेट की उपाधि उनके माता-पिता की उपस्थिति में प्रदान की गई। इस अवसर पर इंग्लैंड में रहने वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों – डॉ. कणाद माण्डके, डॉ. स्निग्धा दत्ता, डॉ. त्रिशांत सिमलाई, डॉ. फराह यामीन, डॉ. इक्तेदार आलम आदि – ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें बधाई दी।
आराध्य की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर क्षेत्रीय सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय, और समाज के अनेक गणमान्य नागरिकों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।
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