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पंचांग: बुध प्रदोष व्रत पर विष्णु-कृपा का संयोग, मूल नक्षत्र में सावधानी रखें
DHARAM DESK

श्रावण मास का पावन समय चल रहा है और आज शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। हिन्दू धर्म में द्वादशी तिथि का संबंध भगवान विष्णु से माना जाता है, जिनकी पूजा से व्रती को यश, पुण्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
विशेष बात यह है कि आज बुधवार होने के साथ-साथ बुध प्रदोष व्रत भी है, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
आज का तिथि विशेष:
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तिथि: द्वादशी (शुक्ल पक्ष), श्रावण मास
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विक्रम संवत: 2081
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दिन: बुधवार
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नक्षत्र: मूल
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योग: वैधृति
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करण: बलव
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चंद्र राशि: धनु
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सूर्य राशि: कर्क
समय विशेष:
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सूर्योदय: 06:12 AM
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सूर्यास्त: 07:18 PM
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चंद्रोदय: 05:11 PM
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चंद्रास्त: 03:21 AM (7 अगस्त)
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राहुकाल: 12:45 PM से 02:23 PM
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यमगंड: 07:50 AM से 09:28 AM
प्रदोष व्रत और द्वादशी का महासंयोग
आज का दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान शिव और विष्णु – दोनों की कृपा चाहते हैं। बुध प्रदोष व्रत में शिव पूजा से रोग, शोक और शत्रुओं का नाश होता है, जबकि द्वादशी तिथि में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
मूल नक्षत्र में सतर्कता आवश्यक
आज चंद्रमा धनु राशि में स्थित हैं और मूल नक्षत्र में भ्रमण कर रहे हैं। ज्योतिषशास्त्र में मूल नक्षत्र को शुभ नहीं माना गया है। यह नक्षत्र नैऋति दिशा और केतु ग्रह से जुड़ा होता है। ऐसे में कोई भी शुभ कार्य, नया निवेश, खरीदारी, विवाह या यात्रा आरंभ करना वर्जित बताया गया है।
हालांकि, तांत्रिक कार्य, घर की पुरानी संरचना तोड़ने या नकारात्मकता निवारण के उपाय आज के दिन कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
क्या करें, क्या न करें
क्या करें:
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विष्णु और शिव पूजा करें
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व्रत, उपवास, दान आदि करें
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मानसिक शांति के लिए विष्णु सहस्त्रनाम या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें
क्या न करें:
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कोई नया कार्य या योजना आरंभ न करें
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मूल नक्षत्र में विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश टालें
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राहुकाल और यमगंड काल में यात्रा या शुभ कामों से बचें